*"हे कृष्ण इस कोरोना काल से तारो"*
```अंधियारी काल-कोठरी को तुमने जन्मस्थल बनाया, पर कंस के भयंकर त्रास से भक्तों को बचाया।
धन्य वे देवकी-यशोदा जो तुम्हें कान्हा रूप में पाया, तुमने अनेक मायावियों को भी मोक्ष का मार्ग दिखाया।
इस दानव विषाणु ने जग में हाहाकार मचाया, तुमने अनेक असुरों को क्षण भर में हराया।
हे माधव अद्भुत है तुम्हारी हर लीला, खत्म करों अब यह कोरोना विस्तार का सिलसिला।
इस कलयुगी विषाणु का सर्वस्व करो संहार, कोरोना काल में फिर से कहलाओं तारणहार ।
तुमने तो किया था कालिया नाग के अहम का नाश, कोरोना कहर से मुक्ति देकर रोकों यह विनाश।
इस विध्वंसक विषाणु ने बिगड़ा विश्व का स्वरूप, हे कृष्ण तुम तो श्रेष्ठ सखा व गुरु का हो रूप।
सुदामा की आर्थिक पीड़ा को बिना कहें ही समझा, ऐसे ही पीड़ित वर्ग की व्यथा दूर करों सहसा।
कोरोना त्रास से हे केशव अब मुक्ति का करों शंखनाद, तुमने तो सुलझाए गीता में अनेक विवाद।
हे मधुसुदन सुन लो अब हमारी पुकार, इस कोरोना संक्रमण से मुक्ति का खोलो द्वार।
हे कृष्ण इस कोरोना काल से तारो, डॉ. रीना कहती इस विषाणु को समूल नष्ट कर डालो।```
*डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)*
```अंधियारी काल-कोठरी को तुमने जन्मस्थल बनाया, पर कंस के भयंकर त्रास से भक्तों को बचाया।
धन्य वे देवकी-यशोदा जो तुम्हें कान्हा रूप में पाया, तुमने अनेक मायावियों को भी मोक्ष का मार्ग दिखाया।
इस दानव विषाणु ने जग में हाहाकार मचाया, तुमने अनेक असुरों को क्षण भर में हराया।
हे माधव अद्भुत है तुम्हारी हर लीला, खत्म करों अब यह कोरोना विस्तार का सिलसिला।
इस कलयुगी विषाणु का सर्वस्व करो संहार, कोरोना काल में फिर से कहलाओं तारणहार ।
तुमने तो किया था कालिया नाग के अहम का नाश, कोरोना कहर से मुक्ति देकर रोकों यह विनाश।
इस विध्वंसक विषाणु ने बिगड़ा विश्व का स्वरूप, हे कृष्ण तुम तो श्रेष्ठ सखा व गुरु का हो रूप।
सुदामा की आर्थिक पीड़ा को बिना कहें ही समझा, ऐसे ही पीड़ित वर्ग की व्यथा दूर करों सहसा।
कोरोना त्रास से हे केशव अब मुक्ति का करों शंखनाद, तुमने तो सुलझाए गीता में अनेक विवाद।
हे मधुसुदन सुन लो अब हमारी पुकार, इस कोरोना संक्रमण से मुक्ति का खोलो द्वार।
हे कृष्ण इस कोरोना काल से तारो, डॉ. रीना कहती इस विषाणु को समूल नष्ट कर डालो।```
*डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)*
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